मेडिटेशन यानी ध्यान का काफी प्राचीन समय से अलग अलग मान्यताओं और धर्मों में काफी महत्त्व रहा है परन्तु पिछले कुछ दशकों में यह प्रैक्टिस पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा पॉपुलर हुई है। इस बात के कई प्रमाण मिले हैं की ध्यान करने से हम वह सब अचीव कर सकते हैं जो हम सोच सकते हैं। मेडिटेशन न सिर्फ हमारी क्षमता को बढ़ाता है बल्कि हमारा फोकस और विज़न में क्लैरिटी लाता है। यह भी साबित हुआ है की ध्यान करने से इंसान की सही निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है।
हमारा मस्तिष्क कितना काम्प्लेक्स ऑर्गन है यह हम सभी जानते है और आज के समय में हमे मल्टीटास्किंग और परफेक्ट होना बहुत जरूरी हो गया है ऐसे में यदि हम अपने दिमाग को और भी अधिक कुशलता से काम करने के लिए तैयार करना चाहें तो मेडिटेशन हमारे लिए एक वरदान की तरह काम करता है। हमारा दिमाग एक कंप्यूटर की तरह है जिसमे बहुत सारा डाटा स्टोर रहता है। एक सामान्य कंप्यूटर या मशीन की तरह ही दिमाग को भी कुछ देर का ब्रेक देना उसकी एफफिशिएंसी को बढ़ा देता है। ध्यान करना इसी का अभ्यास है। जब आप जागते हुए अपने विचारों से अपने मन को अपने दिमाग को थोड़ा ब्रेक देते हैं।
मेडिटेशन के फायदे –
मेडिकल साइंस भी यह मानता है की मेडिटेशन से ना सिर्फ हमारी फिजिकल हेल्थ इम्प्रूव होती है बल्कि मेन्टल और इमोशनल हेल्थ भी अच्छी होने लगती है। कई मामलों में मेडिटेशन से काफी असाध्य रोगों को भी ठीक करने में भी सफलता मिली है।
मेडिटेशन तनाव और अवसाद को दूर करने में बेहद प्रभावी है , अनिद्रा यानि इन्सोम्निया को दूर करता है। इसके साथ ही यह इच्छाशक्ति यानि विलपॉवर को बढ़ाने, भावनाओं और आवेगों को नियंत्रित करने और नशे की लत के कारणों को समझने में सहायता करता है। इससे पीठ का दर्द, लकवा, मांसपेशियों में खिंचाव, मधुमेह व अस्थमा जैसे रोगों का उपचार भी संभव है। याददाश्त बढ़ाने, मन-मस्तिष्क को एकाग्र करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और आज के कॉम्पिटिटिव माहौल में दबावों का सामना करने के लिए मेडिटेशन बहुत प्रभावी होता है।
2015 में की गयी एक रिसर्च के अनुसार रिसर्च में यह साबित हुआ है की इन सभी प्रोब्लेम्स को मेडिटेशन से काफी प्रभावी तरीके से कम किया जा सकता है। मेडिटेशन करने और न करने वाले कुछ लोगों का ब्रेन मैपिंग करने पर यह पाया गया की जो लोग रेगुलर मेडिटेशन यानी ध्यान करते है उनके ब्रेन में अल्फ़ा वेव्स की मात्रा उन् लोगो की तुलना में ज्यादा पायी गयी जो लोग मेडिटेशन नहीं करते। यह अल्फ़ा वेव्स क्रिएटिविटी को बढ़ाने और तनाव को कम करने के लिए जानी जाती हैं।
मेडिटेशन को करने का सबसे अच्छा समय सुबह का माना गया है। ऐसा इसलिए है क्यूंकि सुबह सोकर उठने के बाद हमारा दिमाग थोड़ा शांत होता है और उस समय ध्यान करना आसान होता है। ध्यान यानी मेडिटेशन करने के लिए एक आरामदायक स्थिति में ध्यान मुद्रा में बैठें। अपनी आँखों को बंद करें और अपने सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें। सांस लेना यानी ब्रीथिंग होना हमारे जीवित होने का प्रमाण है। जैसे हम सांस लेते हैं तो यह विचार करें की इस पूरे ब्रम्हांड से पॉज़िटिव एनर्जी आप अपने अंदर ले रहे हैं और सांस छोड़ते हुए यह विचार करें की हमारे अंदर की सारे रोग , गलत विचार , गलत आदतें सभी तरह की नेगेटिविटी को हम अपने आप से दूर कर रहे हैं।
मेडिटेशन कई प्रकार का होता है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन – इसमें हमे ध्यान करते हुए अपने विचारों पर ध्यान देना होता है जो भी विचार हमारे दिमाग में आ रहे होते हैं इस समय हमे उनको जज नहीं करना बस हमे अपने थॉट्स को ऑब्ज़र्व करना होता है। इस प्रैक्टिस से हमे एकाग्र होने और अपने वर्तमान के प्रति जागरूक होने में मदद मिलती है। इसके साथ ही इससे मन और मस्तिष्क रिलैक्स होता है तनाव दूर होता है और बहुत ज्यादा सोचने जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
स्पिरिचुअल मेडिटेशन – यह प्रकार की प्रार्थना की तरह होता है। इसमें आप किसी शांत जगह पर बैठ कर ध्यान करते हैं और अपने ईश्वर का ध्यान करते हैं और अपने आप को यूनिवर्स से कनेक्ट करने की कोशिश करते हैं।
मंत्र मेडिटेशन – ध्यान का यह प्रकार हिन्दू और बौद्ध सहित कई परम्पराओ में काफी प्रचलित होता है। इसमें हमें किसी मंत्र या ध्वनि का बार बार उच्चारण करके उसपर ध्यान केंद्रित करना होता है जैसे ॐ ध्वनि। या फिर कोई मंत्र।
विज़ुअलाइज़ेशन मेडिटेशन – इसमें हमे पॉजिटिव चीज़ों और बातों को सोचना होता है और मन में शांति अनुभव करने पर ध्यान देना होता है। इस मेडिटेशन में हमे इस प्रकार कल्पना करना होता है जो हम करना चाहते हैं या जैसा बनना चाहते है। इस ध्यान में हमे अपने आप को जैसे उस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया हो ऐसे कल्पना करना है। विज़ुअलाइज़ेशन मेडिटेशन से फोकस बढ़ता है और मोटिवेशन बढ़ता है।
फोकस मेडिटेशन – फोकस या केंद्रित ध्यान में पांचो इन्द्रियों में से किसी भी एक का प्रयोग करते हुए ध्यान करने की प्रैक्टिस की जाती है। इसमें हम माला में मोतियों को गिनने , साँस लेने छोड़ने में या किसी दीपक या मोमबत्ती की लौ को देखते हुए ध्यान करते हैं। मेडिटेशन की यह तकनीकी भी काफी पुरानी है। शुरुआत में यह मेडिटेशन थोड़ा सा मुश्किल लगता है पर धीरे धीरे प्रैक्टिस के बाद कोई भी इसे आसानी से कर सकता है। इससे मन एकाग्र होने में मदद मिलती है और लर्निंग कैपेसिटी बढ़ती है।
Transcendental Meditation या भावातीत ध्यान – इसमें हमे किसी भी विचार या भावना से ऊपर उठना होता है। दरअसल हमारी भावना हमारे विचार हमारे आस पास की बातों, घटनाओं और हमारी मान्यताओं से बनते हैं। इस मेडिटेशन से हमे अपने विचारों को दूर करने का अभ्यास करना होता है। इस तरह के ध्यान में हमे भावनाओ और किसी भी चीज़ों के बारे में नहीं सोचना होता है। इस ध्यान के अभ्यास से धीरे धीरे हम इमोशनली और फिजिकली फिट होने लगते हैं।