इक्कीसवीं सदी का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आविष्कार या खोज , हम सोचें तो वो बेशक मोबाइल फ़ोन्स हैं। आज काम से लेकर पढाई तक , गेम्स से लेकर शॉपिंग तक सब कुछ हमारे छोटे से मोबाइल से हो जाता है। कोई बिल भरना हो या बैंक का कोई काम हो , कही जॉब के लिए अप्लाई करना हो या टिकट बुक करना हो सब कुछ हम मोबाइल फ़ोन से कर लेते हैं। आज के समय में हम एक दिन भी बिना मोबाइल के नहीं रह सकते। हम बिना खाये तो रह सकते हैं पर बिना मोबाइल के नहीं। यह मज़ाक की बात लगती ज़रूर है , पर यह बिलकुल सच है।
मोबाइल, लैपटॉप और सभी स्मार्ट गैजेट्स वैसे तो हमें बहुत सुविधा प्रदान करते हैं पर हमें पता ही नहीं चलता की कब हमे इसकी लत लग गयी। आप ध्यान दें तो पाएंगे आप अमूमन दिन में 50-55 बार अपना फ़ोन बिना वजह निकालके चेक करते हैं। कभी रात में नींद नहीं आती तो हम मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं या बोर हो रहे है तो फ़ोन , किसी का इंतज़ार कर रहें हैं तो फ़ोन, कुछ काम नहीं है तो फ़ोन, बहुत काम है तो भी फ़ोन। दरअसल स्मार्ट उपकरणों की लत वास्तव में एक समस्या है जिससे हमें निपटना होगा। यह पढ़कर ज़रूर आपको हंसी आयी होगी पर यक़ीन मानिये यह हंसी की बात नहीं है यह लत हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
अब बात करते है कैसे मोबाइल और स्मार्ट फ़ोन हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। कई रिसर्च से ये पता चला है की मोबाइल पर अधिक निर्भरता से लोगो के याद रखने की क्षमता पर असर हुआ है , पहले हम खुद ही सोचें कितने नंबर्स हम याद रखते थे आज कल सबकुछ फ़ोन में सेव है, हम अपने फॅमिली और फ्रेंड्स के भी नंबर्स याद नहीं रख पाते। इसके साथ ही कही भी ध्यान केंद्रित करना आजकल थोड़ा मुश्किल हो गया है।
आँखे कमज़ोर होना , धुंधला दिखना , आँखों में सूखापन , सूजन, सरदर्द , गर्दन में दर्द , इसके सामान्य साइड इफेक्ट्स हैं ।
देर रात तक स्क्रीन देखने से नींद पर भी असर हुआ है। नींद का सीधा असर हमारे दिमाग के स्वस्थ्य पर पड़ता है।नींद से रिलेटेड डिसऑर्डर्स की बात करें तो चिढ़चिढ़ापन , बेचैनी रहना, तनाव होना , जल्दी जल्दी गुस्सा आना , डिप्रेशन , मेमोरी लॉस प्रमुख रोग हैं।
अब बात करते है की हम कैसे अपना स्क्रीन टाइम कम करें। तो कुछ टिप्स अपना कर हम इसे काफी हद तक कम कर सकते हैं।-
टेलीविजन को अपने बेडरूम में ना रखें। बैडरूम में टीवी पर वीडियो गेम खेलने या टीवी शो देखने की योजना न बनाएं।
अपने सेल फोन और टैबलेट को अपने कमरे के बाहर चार्ज करने की आदत डालें। इससे आप बैडरूम में फ़ोन लेकर नहीं जाएंगे और मोबाइल लेकर नहीं सोएंगे।
काम करते समय फ़ोन को साइलेंट मोड पर रखें । इससे आपको ध्यान केंद्रित करने में आसानी होगी और आप अपना काम ज्यादा कुशलता से और कम समय में पूरा कर पाएंगे।
घर में फॅमिली के साथ मिलकर कुछ टाइम नो फ़ोन एक्टिविटी प्लान करें। उस समय कोई भी फ़ोन का इस्तेमाल न करे और सबमिलकर कोई गेम या कोई अच्छा टॉपिक डिसकस करें। इससे न सिर्फ सब एकदूसरे को समझ पाएंगे बल्कि आपसी बॉन्डिंग भी स्ट्रांग होगी।
इ बुक्स की जगह नार्मल बुक्स पढ़ें। इससे भी आपको स्क्रीन टाइम कम करने में मदद मिलेगी। मोबाइल में स्क्रीन की ब्राइटनेस को बहुत ज़्यादा न रखें।
नोटिफिकेशन्स को टर्न ऑफ करके रखें। इससे आप हर मिनट में आने वाले नोटिफिकेशन्स को चेक करने से बचेंगे और बार बार फ़ोन उठाने की गलत आदत को कंट्रोल कर पाएंगे।
टेक्नोलॉजी बेशक हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है पर इसका इस्तेमाल समझदारी से करना महत्वपूर्ण है। स्मार्ट गैजेट्स का पूरा लाभ लेते हुए अपनी हेल्थ को भी अच्छा रखना हमारी जिम्मेदारी है। स्क्रीन टाइम को कम करके इसके नुक्सान से बचने के लिए इस तरह के और भी उपाय खोजना ज़्यादा मुश्किल काम नहीं है बस उसपर ध्यान देने की ज़रूरत है।
“स्क्रीन समय कम करने के 5आसान तरीके&rdquo पर एक विचार;